Monday 21 May 2012

"गंगा मुक्ति महासंग्राम" दिनांक 21-मई-2012 :-

आज दिनांक 21-मई-2012 को "गंगा मुक्ति महासंग्राम" बेनियाबाग़ पार्क, वाराणसी में संतों के साथ-साथ वाराणसी व अन्य जिलों एवं अन्य राज्य के संतों, जनता, व्यापारियों, बुद्धजीवियों, अधिवाक्तों तथा  राजनैतिक  दलों के प्रतिनिधियों ने गंगा रक्षा का संकल्प लिया  और माँ गंगा की निर्मलता व अविरलता के लिये हर संभव प्रयास करने का  संकल्प लेकर  गंगा  को  हर हाल में मुक्त कराने की बात कही।


"गंगा मुक्ति महासंग्राम" कुछ छायाचित्र आप सबके समक्ष पेश है:-










लेखक के व्यक्तिगत विचार :-
उक्त "गंगा मुक्ति महासंग्राम" में स्वामी  सानंद की  वाणी  में  माँ  गंगा  के  लिए अत्यधिक  कष्ट  व  पीड़ा  दिखी  और  गंगा  के  लिये  चलाये  जा  रहे  आन्दोलनों के राजनैतिकरण को लेकर  भी कष्ट भी साफ-साफ  दिखा। राजनीति चाहे संतों की हो, चाहे राजनैतिक  दलों  की हो। 
स्वामी सानंद जी आपकी तरह  हमें भी "बाबा विश्वानाथ" का ही आसरा है, क्योंकि हम  मानवों  के सभी प्रतिनिधियों के बस में "माँ गंगा" को  निर्मल  व अविरल करने का अब मादा नहीं रह गया है.... अत: महादेव अब आप ही हमारी और माँ गंगा की रक्षा करें।

Sunday 20 May 2012

"गंगा मुक्ति महासंग्राम" में सम्मिलित होने के लिए निवेदन :-

"काशी साईं परिवार" सभी सम्मानित भारत वंशियो और इस ब्लॉग के सुधी पाठकों से विनम्र निवेदन करता है 21-मई-2012 को सायं 4:00 बजे "गंगा मुक्ति महासंग्राम"  में सम्मिलित होकर "माँ गंगा" की मुक्ति में अपना सहयोग देने की कृपा करे।

आज 20-05-2012 को "काशी साईं परिवार" के सचिव अंशुमान दुबे ने बेनियाबाग़ पार्क, वाराणसी गए और कल के "गंगा मुक्ति महासंग्राम" की तैयारियों को देखा। 

कुछ छायाचित्र आप सबके समक्ष पेश है:-






कृपया हमारे भारत की जीवन रेखा "गंगा" को खत्म होने से बचाने का प्रयास करें।

!! जय भारत प्रेम !!

Saturday 19 May 2012

125 दिनों की तपस्या - गंगा है तंग :-

 गंगा के तट पर संत है तपस्या रत,
जनता भी है समर्थन में संग,
गली, महाल सब है गंगा के रंग,
कब जागोगे सत्ता वालो गंगा है तंग,
एक माँ का दूध पिया है,
एक माँ का नीर पिया है,
एक माँ के हो संग और,
एक माँ को करते हो तंग,
कब जागोगे सत्ता वालो गंगा है तंग ||

Friday 18 May 2012

क्रांति की हवा :-


चली जो तेज़ हवा तो धरकत हिल जायेंगे,
चली जो सर्द हवा तो लहू जम जायेगा,
पर चली जो क्रांति की हवा तो तख़्त हिल जायेंगे,
माँ गंगा के लिए मिले जो हाथ हमारे,
तो सर तुम्हारे कट जायेंगे।

कतरा कतरा जो गंगा बहती है :-

कतरा कतरा जो गंगा बहती है, 
जैसे कतरा कतरा लहू बहता हो,
शायद वो हमारी माँ की आहो का लहू है, 
न जाने कब एक कतरा कम पड़ जाये, 
रोने को हमको।।
और सरकार बोलेगी रोना नहीं, 
हम है आंसूओ को पोछने को तुम्हारे संग।

वाह रे सरकार वाह,

कब आप समग्र प्रयास करेगे हमारी गंगा को बचाने का...???

Tuesday 15 May 2012

तप के ताप से जल जाओगे तुम :-

तप के ताप से जल जाओगे तुम,
माँ की वेदना से बह जाओगे तुम,
माँ को ना देखो धर्म के चश्में से तुम,
इतना रुलाओं ना मेरे माँ को तुम ,
नहीं तो दुनिया देखने को तरस जाओगे तुम।।

न सत्ता होगी और ना ही सत्ता का प्रेम :-

संतों की तपस्या से सांसद तो कल जाग गये,
अब सत्ता के जागने की बारी / समय है,
नहीं तो संतो का अनुसरण कर,
अगर जनता पूर्ण रूप से जाग गयी तो,
2014 में उत्तर प्रदेश का 2012 दोहराया जायेगा,
और फिर न सत्ता होगी और ना ही सत्ता का प्रेम,
अब तो जाग जाएये प्रधानमंत्री की पूर्व शक्तियां ।।

Monday 14 May 2012

मैं आज भी बहती हूँ तुम्हारे लिए :-


गयी हूँ मर ना हो यकी तो देखो छु के मुझको,
मैं आज भी बहती हूँ तुम्हारे लिए।
लाश है ये जिंदा तुमको यकी ना होगा,
वक्त और अपनों ने मेरी रूह को मारा है।
पर कलयुग में मेरे पुत्रों ने,
मुझमें प्राण भरने का संकल्प किया है,
अपने तप से।।

"जय हो गंगा पुत्रों की, जय हो माँ गंगा की"

Sunday 13 May 2012

दुनिया में सबसे बड़ा बलिदान किसका है...???

प्रशन :- दुनिया में सबसे बड़ा बलिदान किसका है...???
 

उत्तर :- मेरे नज़र में दुनिया में सबसे बड़ा बलिदान "नदी" करती है, क्योंकि जीवन भर दूसरो को जीवन देती है और समुद्र से मिलने के लिए वह अपने अस्तित्व को ख़त्म कर देती है और फलस्वरूप पाती है समुद्र का खारा पानी अपने मीठे पानी के बदले, समुद्र कभी नदी के पास बरात लेकर नहीं आता।

जो थी सदा नीरा, उसके आज नीर बहते है :-

 जो थी सदा नीरा, उसके आज नीर बहते है।
जिसने सब को अपने प्रेम में था बाँधा,
उसको बाँधने में लगे हैं, आज के राजा।
जो थी सदा नीरा, उसके आज नीर बहते है।

मानसून की प्रतीक्षा करती सरकार :-

भारत सरकार तो सिर्फ इस बात की प्रतीक्षा करती दिख रही है कि, कब मानसून आये और वे कह सके की हमने गंगा में पानी छोड़ दिया है। अत: अब गंगा पुत्रो को तपस्या करने के कोई आवश्कता नहीं है।
और क्या हुआ "गंगा तिरंगा" का नारा देने वाले दल का, वे क्यों मौन है....???  क्या वे फिर चुनाव की प्रतीक्षा में हैं.....???

चंद्रशेखर आज़ाद के अंतिम संस्कार के बारे में जानने के लिए उनके बनारस के रिश्तेदार श्री शिवविनायक मिश्रा द्वारा दिया गया वर्णन पढ़ना समीचीन होगा:-

उनके शब्दों में—“आज़ाद के अल्फ्रेड पार्क में शहीद होने के बाद इलाहाबाद के गांधी आश्रम के एक स...