Thursday 27 October 2011

तुमको ना भूल पाऊँगा :-

तुमको ना भूल पाऊँगा, ये हक है मेरा,
जो तुमको हो कबूल, वो सच है मेरा |
ये ज़िन्दगी है क्या, दो लफ्जों का फ़साना |
जो ख़ुशी मिले, तो ज़िन्दगी है खुशमिजाज़,
जो ग़म मिले, तो ज़िन्दगी है ग़मज़दा |
तुमको ना भूल पाऊँगा, ये हक है मेरा,
जो तुमको हो कबूल, वो सच है मेरा |

चंद्रशेखर आज़ाद के अंतिम संस्कार के बारे में जानने के लिए उनके बनारस के रिश्तेदार श्री शिवविनायक मिश्रा द्वारा दिया गया वर्णन पढ़ना समीचीन होगा:-

उनके शब्दों में—“आज़ाद के अल्फ्रेड पार्क में शहीद होने के बाद इलाहाबाद के गांधी आश्रम के एक स...