Monday 8 March 2010

आर्थिक सहायता अंतर्गत "Kashi Sai Anti-Terrorism Fund"

आज दिनाक 08-03-2010 को "Kashi Sai Foundation Society" के "Kashi Sai Anti-Terrorism Fund" से बहोरीपुर (बड़ागाव) हमले में घायल अधिवक्ता श्री सुरेश कुमार पाण्डेय को रु.1000/-की आर्थिक सहायता वास्ते अस्पताल खर्च प्रदान की गई। आर्थिक सहायता का चेक (रु.1000/-) संस्था के सचिव अंशुमान दुबे ने प्रज्ञा हॉस्पिटल, हरहुआ, वाराणसी में जाकर घायल अधिवक्ता श्री सुरेश कुमार पाण्डेय को प्रदान किया। इस अवसर पर अधिवक्ता-गण क्रमश: श्री सूर्य कुमार गोंड, श्री सतेन्द्र कुमार श्रीवास्तव, श्री अजय कुमार सिंह, आदि भी उपस्थित थे।

1- आर्थिक सहायता का पत्र
2- आर्थिक सहायता का चेक
3- समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरे
जिनके आधार पर आर्थिक
सहायता का चेक प्रदान किया गया

Sunday 7 March 2010

आज के दिन : अंशुमान

नोट: मैंने यह कविता अपने बेटे "Ashwath" (Aashi) के पैदा होने के बाद दिनाक 04-05-2005 को लिखी थी, जिसमें सुधार 01-12-2005 को पूनम के साथ किया।
खिला है, फूल चमन में हमारे, आज ही के दिन
महका है, चमन हमारा, आज ही के दिन।

हुआ है, सपना पूरा हमारा, आज ही के दिन
नम हुई हैं, आंखे हमारी, आज के ही दिन
क्योकि मिली है, सपने से हकीकत, आज ही के दिन।

ज़िंदगी की शुरुआत हुई है, आज ही के दिन
पाई है, मंजिल हमने, आज ही के दिन
दिया है, नाम नया प्यार को तुमने, आज ही के दिन
खिला है, फूल बनकर प्यार हमारा, आज ही के दिन
क्योकि मिली है, सपने से हकीकत, आज ही के दिन।

राम ने चूमा है, सीता का माथा, आज ही के दिन
कृष्ण ने थामा है, राधा का दामन, आज ही के दिन
मीरा हुई है, मगन श्याम के रंग, आज ही के दिन
क्योकि मिली है, सपने से हकीकत, आज ही के दिन।

प्यार के रंगों का एहसास मिला है हमको, आज ही के दिन
छुटा था जो दामन, थामा है फिर से उसको, आज ही के दिन
जुदा था जो, गले लगाया है उसको, आज ही के दिन
दर्द के एहसास को बनाया है, प्यार हमने, आज ही के दिन
क्योकि मिली है, सपने से हकीकत, आज ही के दिन

खिला है, फूल चमन में हमारे, आज ही के दिन
महका है, चमन हमारा, आज ही के दिन।

Tuesday 2 March 2010

गुरु, ईश्वर और सदगुरु का सम्बन्ध व अंतर :


गुरु और ईश्वर का बहुत गहरा सम्बन्ध है....!!

वेदों में "गुरु" को "ईश्वर" से अधिक पूज्यनीय माना है, "गुरु" की महिमा अपार है वो सदैव अपने शिष्य के लिए चिंतित रहता है, उसे सर्व गुण सम्पन बनाने का प्रयत्न करता है, ईश्वर की प्राप्ति भी गुरु द्वारा सम्भव हो सकती है।


गुरु और सदगुरु में अन्तर...!!

गुरु और सदगुरु में बहुत अन्तर है, गुरु को हमेशा अपने शिष्य से कोई न कोई अपेक्षा रहती है, वो कभी भी समय आने पर अपने दिए हुए ज्ञान की गुरुदक्षाणा मांग लेते है। परन्तु सदगुरु वो होता जो सदैव देते हैं, कभी गुरुदक्षाणा की लालसा नही रखते । गुरु तो बहुत से मिल जाते है, परन्तु सदगुरु तो एक ही है वो है "साई बाबा" जिन्होंने कभी अपने शिष्यो से कुछ नही माँगा सिर्फ़ दिया ही है, ऐसे सदगुरु के चरणों में हमारा, काशी साईं परिवार व समस्त भारत वासियों का सादर नमन व समर्पण.....!!!

Monday 1 March 2010

नज़र : अंशुमान


नज़र को नज़र से मिलने दो।
दिलो के तार दिलो से जुड़ने दो।

सुहानी है बेला ये, ऐसे में
दिलो के साज़ को बजने दो।
सरगम यही सच्ची है, इसे
दिल की बगिया में खिलने दो।

दुआ करो मिलकर
मालिक से, कि दिलो में सरगम
यू ही बजती रहे।

और नज़र नजरो से मिलती रहे।
(Note: Written on 24-02-2010)

होली की हार्दिक शुभ कामनाये:-


" होली के शुभ अवसर पर सभी भारतवासियो व भारतवंशियो को काशी साईं परिवार की हार्दिक शुभ कामनाये "
और
" नव वर्ष की
भी हार्दिक शुभ कामनाये "







चंद्रशेखर आज़ाद के अंतिम संस्कार के बारे में जानने के लिए उनके बनारस के रिश्तेदार श्री शिवविनायक मिश्रा द्वारा दिया गया वर्णन पढ़ना समीचीन होगा:-

उनके शब्दों में—“आज़ाद के अल्फ्रेड पार्क में शहीद होने के बाद इलाहाबाद के गांधी आश्रम के एक स...