Saturday 15 August 2009

हिंदुस्तान में दो दो हिंदुस्तान दिखाई देते हैं : गुलज़ार

हिंदुस्तान में दो दो हिंदुस्तान दिखाई देते हैं

एक है जिसका सर नवें बादल में है
दूसरा जिसका सर अभी दलदल में है

एक है जो सतरंगी थाम के उठता है
दूसरा पैर उठाता है तो रुकता है

फिरका-परस्ती तौहम परस्ती और गरीबी रेखा
एक है दौड़ लगाने को तय्यार खडा है

‘अग्नि’ पर रख पर पांव उड़ जाने को तय्यार खडा है
हिंदुस्तान उम्मीद से है!

आधी सदी तक उठ उठ कर हमने आकाश को पोंछा है
सूरज से गिरती गर्द को छान के धूप चुनी है

साठ साल आजादी के…हिंदुस्तान अपने इतिहास के मोड़ पर है
अगला मोड़ और ‘मार्स’ पर पांव रखा होगा!!

हिन्दोस्तान उम्मीद से है..


No comments:

चंद्रशेखर आज़ाद के अंतिम संस्कार के बारे में जानने के लिए उनके बनारस के रिश्तेदार श्री शिवविनायक मिश्रा द्वारा दिया गया वर्णन पढ़ना समीचीन होगा:-

उनके शब्दों में—“आज़ाद के अल्फ्रेड पार्क में शहीद होने के बाद इलाहाबाद के गांधी आश्रम के एक स...